Saturday 7 April 2018

महक का जादू 9


मेरे दिल में बहोत सारे सवाल थे ..... लेकिन सूझ नहीं रहा था क्या और कैसे पुछू . 

कॉलेज जाते वक्त हम दोनों भी खामोश थी पहला लेक्चर केमेस्ट्री का था हम दोनों भी काफी बिजी थी .दुसरे लेक्चर की मैडम छुट्टी पर थी याने हम को ऑफ़ हवर थामैंने रिया को बोला की..... हम लोग कॉलेजकी छत पर जाते है उसने हामी भरी ..... तो हम दोनों छत पर जा कर एक कोने में बैठ गए. मैंने रिया से पूछा "रिया तू इतना सबकुछ कैसे जानती है .... तुझे ये सब किसने सिखाया?"रिया मुस्कुराई और बोली "मैं जानती थी की तू ये सवाल मुझे जरूर पूछेगी ..."मैं : "तो बता न "फिर रिया ने अपनी कहानी सुनाई रिया के घर में कुल पांच लोग थे ... रिया के पिताजी, माँ , बड़ी बहन, बड़ा भाई और खुद रिया रिया की बड़ी बहेन उससे ५ साल बड़ी थी और भाई ३ साल बड़ा .रिया की दीदी नेहा अभी दुसरे शहर में MBA कर रही है और भाई मुंबई में MBBS कर रहा है
रिया की कहानी वहासे शुरू हुई जब उसकी बहन BBA के फायनल में थी और रिया SSC में उसका भाई एक साल पहले मुंबई गया था .रिया और उसकी दीदी का कमरा आजू बाजू में ही था एक दिन जब उनके माँ पिताजी बहार गाव गए थे घर में सिर्फ रिया और नेहा ही थे रिया जब दोपहर घर लौटी तो उसने नेहा दीदी के कमरेसे कुछ आवाजे सुनी...... कुछ धीमी धीमी आवाजे आ रही आऊं... उम्म्म्म.. उम्म्म्म... चुउप्प्प.. आउउम्म्म.... अआम्म्म्म... चुउप्प्प... उम्म्म्म... आउउम्म्म....मेरी तो कुछ समझ में नहीं आया मै दीदी के बेडरूम के दरवाजे के पास गयी तो फिरसे वो मद्धिम आवाज आयी हह... ह्हाआ... ह्हाआं... ह्हाआम्म्म... ह्हाआम्म्म... ह्हाआम्म्म... ओह्ह ओह्ह्ह ओह्ह ... मै दरवाजा खटखटाने वालि थी ... लेकिन मैंने महसूस किया की ये आवाज तो नेहा दिदी की नहीं है मैं कान लगा के सुनने लगी ....औम्म्म .. हिस्स ... चुय्पुक्क्क .. उउम्म्म अह्ह्ह .. ओह्ह्ह ... आह्छ्ह शर्त से ये नेहा दिदी की आवाज नहीं थी ...... मै सुनने की कोशिश करती रही ... मेरेकान दरवाजे पर चिपके थे थोड़ी देर बाद मुझे नेहा दिदी की हलकी आवाज सुनाई दी स्स्स्स्स्स्स्सीईईईईई .....आ....आ..ह.....जैसे दिदी को दर्द हो रहा हो लेकिन वो दूसरी आवाज पता नहीं किस लड़की की थी .....मैंने की होल से अन्दर की ओर झाँका ...... करे में मद्धिम रौशनी थी .... मुझे नेहा दिदी का बेड दिखाई दिया .... दिदी उसपर पसरी पड़ी थी .... उसकी नाइटी अस्तव्यस्त हो गयी थी उसकी गोद में लैपटॉप था ... शायद वो उसपर कुछ देख रही थी .....नेहा दिदी का एक हाथ उसकी पेंटी में था ... और दुसरे हाथ की उंगलिया मुह में .....बिच बिच मे नेहा दिदी के मुह से धिमेसे आवाजे निकल रही थी "उम्म्म्म्म ह्म्म्म स्स्स स्स्स"अन्दर का दृश्य देख कर मै मंत्रमुग्ध्सी खडी थी .... मेरे अन्दर कुछ अन्जानिसी सिहरन दौड़ रही थी ..
थोड़ी देर बाद नेहा दिदी के हाथो की हरकते तेज हो गयी .. अब वो एक हाथ से पेंटी में पेशाब वाली जगह कुछ कर रही थी और दूसरे हाथ से अपनी छातियो को दबा रही थी .
उसकी ब्रा भी सरक चुकी थी .... मैंने पहली बार नेहा दिदी के स्तनोका दर्शन किया.
दिदी की छातिया बड़ी बड़ी थी ...उसके निप्पल्स भूरे थे ..... वो कभी कभार उनको भी पकड़कर मसल रही थी ... जैसे ही वो अपने निप्पल्स को मसलती उसके मुह से 
स्स्स्स्स्स्स्सीईईईईई .....आ....आ..ह.....निकलता था .
मै ये दृश्य पहली बार देख रही थी .....मेरा रक्तप्रवाह बढ़ गया .... मेरी साँसे तेज़ हो गयी ..... मेरी समझ में नहीं आया ..की ऐसा क्यों हो रहा है ...
नेहा दिदी की हरकतों के साथ साथ उसकी आवाजे भी बढती गयी ........
और फिर अचानक नेहा दिदी का शारीर ऐठ गया ..... उसने अपने हाथ से अपने पेशाब वाली जगह बाबा रही थी .... और वो अपना सर झटकने लगी .......
थोड़ी देर बाद दिदी शांत हुई ...... उसने लैपटॉप को बंद कर के बाजू में रखा ...... उठ के बैठी 
और अपने कपडे ठीक करने लगी ......
मैं समझ गयी की अब दिदी बहार आने वाली है .... तो मैं झटसे बहार हॉल में गयी ... और जोरसे दिदी को आवाज लगाई .
नेहा दिदी .... मै स्कूल से आ गयी ...
नेहा दिदी ने भी अन्दर से बोला ... की वो फ्रेश होने जा रही है .
थोड़ी देर बाद नेहा दिदी तैयार हो कर हॉल में आयी ... उसने उसकी फेवरेट जींस और टॉप पहना था .
दिदी:अरे रिया ..... तुम कब आयी “ 
रिया:बस अभी अभी आयी हूँ .....
दिदी: अच्छा चल तू फ्रेश हो ले .... तब तक मैं बाहरसे कुछ खाने को लाती हूँ
हमारे माँ और पिताजी बहार गाव गए थे इसलिए खाना दिदी ही बनाने वाली थी 
रिया: क्यों दिदी ... तुमने घर पे कुछ नहीं बनाया क्या ?”
दिदी : हा रे ..... मेरे सर में हल्का सा दर्द था ... इसलिए कुछ नहीं बना पाई .....आज बहार से कुछ लाती हूँ
रिया:सर में बहोत दर्द है क्या? लाओ मैं दबा दू
दिदी : अरे अब दर्द नहीं है ... सबेरे था ... अब मै बिलकुल ठीक हूँ” 
इतना कहके नेहा दिदी ने मुझे गले लगाया और मेरे गालो पर किस किया.
रिया:ठीक है दिदी ... तुम जाओ ... मै तब तक फ्रेश होती हूँ
दिदी बहार गयी मैंने मेन डोर को अंदरसे लोक किया. 
मै फटाफट दिदी के कमरे में गयी .... मैं उत्सुक थी ....जानने के लिए की दिदी क्या कर रही थी. 
मैंने दिदी के कमरे में देखा .... उसकी नाइटी बेड पर पड़ी थी ... दिदी की पेंटी भी निचे ही पड़ी थी ... मैंने उसे उठा कर देखा .... पेंटी बहोत गीली थी ....मैंने उठाया तो मेरे हाथो को उसकी चिपचिप लग गयी .... मैंने उसको वही पर डाल दिया .
फिर मेरी नजर बाजे में पड़े लैपटॉप पर पड़ी ...... मैंने लैपटॉप को खोला तो पाया की वो ऑन ही था ......
वैसे मै कम्पुटर के मामले में घर में सबसे होशियार हूँ .... मैंने उसकी रिसेंट फाइल्स में देखा तो वहा एक विडिओ फाइल दिखाई दी 
मैंने उस विडिओ फाइल को डबल क्लिक किया .....
जैसे ही वो विडिओ चालु हुआ .... मेरी आँखे खुली के खुली रह गयी ......
उस विडियो में एक आदमजात नंगी लड़की और वैसाही नंगा आदमी दिखाई दिया
फिर उस लड़के ने उस लड़की को लिप किस करना शुरू किया ...उस लड़के के हाथ उस लड़की के नंगे स्तनों को मसल रहे थे ........
उस लड़के की पेशाब वाली चीज लम्बी और मोटी थी .... मैं किसी भी बड़े आदमी की पेशाब वाली चीज़ पहली बार देख रही थी .....
न जाने मुझे क्या हो रहा था ...... मेरा शरीर गर्म होने लगा था ....... मेरी साँसे तेज़ होने लगी ..... मेरी पेशाब वाली जगह में अजीब सी सरसराहट होने लगी .
विडिओ में उन दोनों की हरकते बढ़ने लगी ...... अब वो लड़का लड़की की छातियो को चाटने लगा और साथसाथ लड़की की पेशाब वाले छेद में ऊँगलीघुसा रहा था .
मेरे निचे की सुरसुरी और बढ़ गयी ...... मेरा हाथ अपने आप मेरी पेशाब वाली जगह को सहलाने लगा ......
बड़ी बेचैनी सी लग रही थी ....... वो लड़का निचे झुका और उसने उस लडकी की पेशाब वाली जगह पे अपना मुह लगा दिया और चाटने लगा ...... वो लड़की अजीब अजीब आवाजे निकाल रही थी....... 
मेरी नीचेवाली सुरसुरी और ज्यादा बढ़ गयी ... मेरा हाथ अब स्कर्ट के निचेसे सरककर पेंटी में चला गया ........ वहा हाथ का स्पर्श होते ही .... मेरे मुह से स्सस्सस निकला .
मै अपनी दोनों जांघे एकदुसरे पर घिस रही थी ......
फिर खड़ा होकर उस लडकेने उस लडकीके कन्धोपर जोर दिया और उसे निचे बिठाया ...
उसकी वो लम्बी मोटी पेशाब वाली चीज उस लड़की के होठो के सामने झूल रही थी ....लड़की ने अपने दोनों हाथोसे उसे पकड़ा और उसे चूमने लगी .....
फिर उसने अपना पूरा मुह खोलके उस लम्बी चीज को मुह में डाला ... और उसे लोलीपॉप की तरह चूसने लगी ....... 
मैंने मेरे हाथ जो की मेरी पेंटी में था उसपर चिपचिपाहट सी महसूस की ..... मै उसे उन्ग्लियोसे कुरेदने लगी ....बड़ा अजीबसा नशा होने लगा था ..... मेरा दूसरा हाथ मेरी छातियोको दबाने लगा .... बड़ा अच्छा लग रहा था ......
अचानक मुझे बहार से होर्न की आवाज आयी .
मैंने घडी देखि .... नेहा दिदी को जा के करीबन आधा घंटा हुआ था ......शायद वो आ गयी थी .....
मैंने फटाफट विडिओ बंद किया ..... लैपटॉप को बंद करके उसकी जगह पर रख के दिदी के कमरेसे बहार आयी.
मै फटाफट अपने रूम में पहुची और कपडे उतरने लगी... स्कर्ट टॉप तो मैंने झटकेसे उतार कर बेड पर फेक दिया .... और बाथरूम में गयी .... मुझे बड़े जोरोसे पेशाब आयी थी ऐसा मुजे लग रहा था ....... जब मैंने अपने पेंटी को उतरने के लिए हाथ बढ़ाये ....मैंने देखा वो अच्छी खासी गीली हो गयी थी ....... मैंने खीच कर उसे उतारा ... वो काफी चिपचिपी हो गयी थी.
मेरा अंग अंग गर्म हो गया था ..... मैंने अपनी समीज भी उतारी और शावर चालु कर के उसके निचे खड़ी हो गयी .
शावर से गिरता ठंडा पानी बड़ा अच्छा लग रहा था ... मैंने अपनी नागी छातियो पर हाथ रखा .... मेर छातियो पे छोटे संतरे जैसे उभार बन चुके थे .... ब्राउन कलर के छोटे छोटे निप्प्ल्स भी उभर रहे थे ........
जैसे ही मैंने उनको छुआ ......
स्स्स्स्स्स्स्सीईईईईई .....आ....आ..ह.....मैं सिसक उठी .
मै मन ही मन अपने और नेहा दिदी के छातियोकी कम्पेरिजन करने लगी ....हाय दिदी की छतिया कितनी बड़ी और सुन्दर थी .......
दिदी का ख्याल आते ही मै फिर वास्तव में आ गयी ...... मैंने सोचा की दिदी आने ही वाली होगी ...
मै वैसेही बहार आयी और तौलियेसे बदन पोछ कर एक हलकासा टॉप और पजामी पहन ली .... मै आईने में अपने आपको देख ही रही थी की कॉलबेल बज उठी .......
मैं वही से चिल्लाई ..आयी.......
मैंने जाके दरवाजा खोला .... सामने नेहा दिदी हथोमे पिज्जा के बॉक्स थे 
दीदी अन्दर आयी .... आते ही वो बोली 
अरे रिया तेरी आँखे कितनी लाल दिख रही है ... क्या हुआ ?”
मैं हडबडा गयी ....बोली 
कुछ नहीं दीदी फ्रेश होते समय शायद साबुन गया आँखों में
दीदी कुछ नहीं बोली .... शायद मेरा बहाना उसे ठीक लगा
फिर हम दोनों ने पिज्जा खाया
खाते वक्त मैं चुपचाप थी ... दीदी कुछ इधर उधर की बाते कर रही थी ..मैं बस हा हूँ कर 
रही थी 
खाना ख़तम करतेही मैंने नेहा दीदी को बोला की मुझे बहोत थकावट सी लग रही है .... मैं थोडा सो लेती हूँ 
उसपर दीदी ने भी कोई प्रतिवाद नहीं किया ..... शायद उसे और भी वीडियोज देखने थे 
फिर हम अपने अपने कमरे में गए .......
मैं बेड पर बैठी तो थी पर मन उसी विडिओ पे अटका था .... उस फ्लिम की याद आतेही मेरी टांगो के बिच फिरसे सुरसुरी चालू हो गयी 
मैंने अपने पजामी का नाडा खोला .. पजामी निचे सरकाई ... निचे पेंटी तो थी नहीं .... फिर मैं अपनी मुनिया को निहारने लगी ......... उसे अपनी उन्ग्लियोसे छुआ ..... अपने आप ही एक सिसकी मेर मुह से निकल गयी . मै उसे अपनी उन्ग्लियोसे घिसने लगी ..... धीरे धीरे मेरा शरीर गरम होने लगा ....मैंने दूसरा हाथ अपने टॉप के अन्दर सरकाया और अपनी छतिया मसलने लगी
"उम्म्म्म्म ह्म्म्म स्स्स स्स्स"
मेरे मुह से भी सिस्कारिया निकलने लगी .... अब बेचैनी और बढ़ने लगी थी ... मैंने टॉप को पूरा ऊपर कर दिया ... मेरी पजामी तो न जाने कबसे जमीं चाट रही थी 
उसी मस्तीमे में मेरी एक ऊँगली मेरी मुनिया के छेद में घुस गयी....
हा .....य .....स्स्स्सस्स्स्स स्सस्सस्सीईईईई
बड़ा मजा आया .... मै ऊँगली को धीरे धीरे अन्दरबाहर कर रही थी ... अनजाने में मेरी सिस्कारियो की आवाज बढती गयी ......
मै पूरी मस्ती में थी .... की अचानक सामने से आवाज आयी 
ये क्या कर रही हो रिया ?”
मैंने देखा तो सामने नेहा दीदी ख़ड़ी थी 
न जाने क्यों ... मैंने दरवाजा खटखटाने का इरादा रद्द कर दिया ....और की होल से अन्दर देखती रही ......
हाय राम ...... कैसी बेशरम लड़की थी वो ....

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